क्या आपको लगता है ? कि स्कूल की तरह जीवन का भी कोई मास्टर होता, जो पाठ पढ़ाता , हम तैयार करते पाठ और फिर सवाल पूछता, हम उत्तर दे पास हो जाते| पर प्यारे दोस्तों , जीवन का अध्ययन, बहाव और परीक्षाये सब उल्टा है| देखते हैं कैसे? बात जब जीवन की होती है तो सबसे पहले परीक्षा होती है,जिससे सीखते हैं और फिर भविष्य के लिए तैयार हो जाते हैं| जिसमें सबसे अद्भुत बात ये लगती है कि सबके पाठ अलग , परीक्षा अलग और सीख भी अलग....है न अद्भुत! फिर आखिर कैसे हम आगे बढ़ें? कैसे अपने सीखने को इस तरह संतुलित करें की सफलता की गति दोगुनी हो जाये? इसके लिए जीवन के मास्टर की आवश्यकता है | आपको नहीं मिले? मुझे तो मिल गए| चलिए ,आपको भी मिलवाते हैं| इनका नाम है पानी | जी, बिल्कुल सही सुना आपने| पानी- वही पानी ,जिसे हम जल, नीर, अंब, तोए आदि ना जाने कितने नामों से जानते हैं | बिल्कुल सही ,वही पानी जिसे हम झरने से गिरते ,नदियों में बहते , सागर में हिलोरे लेते देखते हैं | वहीं पानी जिसे हम पीते हैं, नहाते हैं और दिन के कई ...
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