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इस दिवाली अपने राम को समझें

रामलला को समझने का सफर इसमें अचंभित होने वाली क्या बात है। मैं हम सबके उन्हीं राम की बात कर रही हूं। जिनका वर्णन पूजनीय तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है। जी हां...वही राम जिनके घर वापसी की खुशी आज भी हम दिवाली के रूप में मनाते हैं ।..बिलकुल सही.... हम सबके वही राम... जिन्हें दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण में देखने के लिए हम पड़ोसियों के घर जाते थे।                          Imagecreditprinterest एक किरदार जो भगवान बन गया चलिए दोस्तों, दूरदर्शन की रामायण के राम से जुडी एक घटना आपके साथ शेयर करते हैं।        जब दूरदर्शन पर रामायण आती थी।  उस समय का सबसे लोकप्रिय किरदार यानी...राम का किरदार अरुण गोविल जी ने निभाया था। और लोग उस किरदार से इतनी गहराई से जुड़ गए थे कि अरुण गोविल को ही राम समझने लगे थे । Magic of will power- विल्मा रुडोल्फ      एक बार अरुण गोविल अपनी पत्नी के साथ कहीं जा रहे थे और रास्ते में उनकी गाड़ी खराब हो गई। राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल जब नीचे उतरे तो गांव के किसी व्यक्ति ने उनको पहचान लिया और बड़े सत्कार के साथ अपने घर ले गया और कु

Karoly takacs- story in hindi

    Man with only hand-एक विश्व विजेता क्या आपको भी लगता है कि जब कुछ करना चाहते हैं कोई ना कोई ऐसी परिस्थिति बन जाती है जो हमें अपने सपनों की उड़ान  भरने से रोक देती है? कुछ ना कुछ ऐसा जरूर हो जाता है कि हम विवश हो जाते हैं सोचने पर ' किस्मत के आगे किसकी चली है ?' आपको अजीब लग रहा है ना ?आखिर किस्मत से कौन जीता है? वही तो एक चीज है जिससे सबको  हारना ही पड़ता है। लेकिन दोस्तों आज एक ऐसे शख्स से हम मिलने वाले हैं जिसने समय ,परिस्थिति और किस्मत , सबको मात देकर सपनों की ताकत को साबित किया है। मिलते हैं करोली टेक्सस से। करोली के बारे में जन्म       -21 जनवरी 1910 हंगरी व्यवसाय - फौजी खेल       - पिस्टल शूटिंग मृत्यु       - 5 जनवरी 1976, हंगरी      करोली एक फौजी और उसका सपना                       Image credit lifehackshindi 'सपने, जो ना सिर्फ देखे जाए बल्कि जिन्हें जिया जाए।'  करोली फौज में नौकरी किया करते थे । लेकिन साथ ही उन्हें पिस्टल शूटिंग का शौक था।  उनका सपना था अपने हाथ को बेस्ट शूटिंग हैंड बनाना। जिसके लिए वह निरंतर परिश्रम करते

Wilma rulolf story in hindi

              दृढ़ इच्छाशक्ति का जादू  आपको भी लगता है जीवन में चारों तरफ अंधेरा है| समस्याएं ऐसी , जैसे लगता है कुछ बेहतर होने वाला नहीं ,कोई रोशनी की किरण दिखाई नहीं देती तो चलिए मिलते हैं एक ऐसी मिसाल से जिसने ना सिर्फ स्वयं को तपा कर सोना बनाया बल्कि जगमगाती रोशनी की किरण फैलाई जिससे हम अपनी हर समस्या से जूझने की , जीतने की सामर्थ प्राप्त कर सकते हैं-        दोस्तों बात है सन 1939 की |अमेरिका के एक बेहद गरीब परिवार मैं एक लड़की का जन्म हुआ| जिसकी माता घरों में नौकरानी और पिता  कुली थे| 4 साल की उम्र में डॉक्टर ने माता-पिता को बताया "आपकी बेटी को पोलियो है और वह कभी भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाएगी उसे जीवनभर ब्रेस का सहारा लेना पड़ेगा|"         9 साल की उम्र में इस बालिका ने अपने विद्यालय में एक दौड़ प्रतियोगिता देखी| जिसमें बच्चों को दौड़ते देख उसके मन में दौड़ने की चाह जगी| उसने घर जाकर अपनी मां से कहा "मां मैं दुनिया में सबसे तेज दौड़ना चाहती हूं "लड़की की मां धार्मिक और सकारात्मक सोच वाली महिला थी |उन्होंने कहा" बेटी संकल्प शक्ति कठिन परिश्रम औ