Skip to main content

बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न



दिये से डर शलभ ने,
नेह का बंधन नही तोडा।
जहाँ चाहा किनारों ने ,वही से धार को मोड़ा,
अनेक शूल तो पहरा लगाये रहे हर दम,
पर किसी भी फूल ने गंध बिखराना नही छोड़ा।

Comments

Popular posts from this blog

Motivational story of Arunima Sinha

हम कई बार छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाते हैं| फलां व्यक्ति ने हमारे बारे में इतना गलत कैसे बोला? उसकी हिम्मत कैसे हो गई हमारे बारे में इस तरह से बोलने की? फिर या तो तो हम उस शख्स से लड़ बैठते हैं ,ना लड़ पाने की स्तिथि  में कुंठित हो जाते हैं|       सच तो यह है दोस्तों धरती पर जन्मा कोई व्यक्ति ऐसा है ही नहीं जिसने असफलता का मुंह ना देखा हो ,अपयश का स्वाद ना चखा हो| जिसका पथ हमेशा सरल रहा हो| फिर भी कुछ लोग इन्हीं कांटो की राह से गुजरते हुए बहुत सफल हो जाते हैं तो कुछ  परिस्थितियों में उलझ कर रह जाते हैं|        पर दोस्तों, क्या आपने सोचा है ? अपने क्रोध अपनी कुंठा की ऊर्जा का प्रयोग हम सृजन में कर सकते हैं| यही ऊर्जा सफलता के मार्ग में ईंधन का काम कर सकती है |        चलिए, इस यात्रा की कड़ियों को समझते हुए मिलते हैं एक ऐसी लड़की से जिसकी स्पाइन में 3 फ्रैक्चर, एक पैर कट गया ,दूसरे की हड्डियां टूट- टूट कर निकल गई |आगे का पता नहीं उठ भी पाएगी कि नहीं यदि उठी, तो किसके सहारे चलेगी व्हील...

इस दिवाली अपने राम को समझें

रामलला को समझने का सफर इसमें अचंभित होने वाली क्या बात है। मैं हम सबके उन्हीं राम की बात कर रही हूं। जिनका वर्णन पूजनीय तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है। जी हां...वही राम जिनके घर वापसी की खुशी आज भी हम दिवाली के रूप में मनाते हैं ।..बिलकुल सही.... हम सबके वही राम... जिन्हें दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण में देखने के लिए हम पड़ोसियों के घर जाते थे।                          Imagecreditprinterest एक किरदार जो भगवान बन गया चलिए दोस्तों, दूरदर्शन की रामायण के राम से जुडी एक घटना आपके साथ शेयर करते हैं।        जब दूरदर्शन पर रामायण आती थी।  उस समय का सबसे लोकप्रिय किरदार यानी...राम का किरदार अरुण गोविल जी ने निभाया था। और लोग उस किरदार से इतनी गहराई से जुड़ गए थे कि अरुण गोविल को ही राम समझने लगे थे । Magic of will power- विल्मा रुडोल्फ      एक बार अरुण गोविल अपनी पत्नी के साथ कहीं जा रहे थे और रास्ते में उनकी गाड़ी खराब हो गई। राम का किरदार निभाने वाले अरुण ...

Story of eagle- बाज का पुनर्जन्म

आखिर क्यों नील गगन का बादशाह खुद को लहूलुहान कर देता है? हम सभी जीवन में कभी ना कभी निराशा का अनुभव करते हैं ...थक जाते हैं... जीवन बोझ लगने लगता है ...विचारों और शरीर का समन्वय नहीं हो पाता... आप सोच रहे होंगे कैसी बात कर रही हूं मैं ? उम्र के एक मोड़ पर सबके साथ ही ऐसा होता है और फिर जिस बात का समाधान ही ना हो उस पर कैसा चिंतन ?           पर समाधान है दोस्तों, चाहिए आपको? तो चलिए मिलते हैं - उस अद्भुत बादशाह से। जिसे हमने या आपने नहीं चुना बल्कि प्रकृति ने बादशाह बनाया है । मिलते हैं पक्षीराज बाज से-                     Image credit-13abc.com 'जब तूफान आता है और सब पक्षी अपना आशियां ढूंढ रहे होते हैं तब बाज अपने पंखों को फैला बादलों से ऊपर उड़ रहा होता है।'       आपको क्या लगता है प्रकृति का मन किया और बना दिया बादशाह....बाज को परीक्षा नहीं देनी पड़ती ? पर दोस्तों प्रकृति यूं ही किसी को कुछ नहीं दे देती बल्कि उसके लिए उपयुक्त पात्र बनना होता है। बाज को भी ट्रैनिंग लेनी होती है।...