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बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न



दिये से डर शलभ ने,
नेह का बंधन नही तोडा।
जहाँ चाहा किनारों ने ,वही से धार को मोड़ा,
अनेक शूल तो पहरा लगाये रहे हर दम,
पर किसी भी फूल ने गंध बिखराना नही छोड़ा।

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चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर की असली कहानी

रिवाल्वर दादी से एक मुलाकात हाल ही में फिल्म " सांड की आंख" का ट्रेलर रिलीज हुआ जिसमें अभिनेत्री भूमि ने चंद्रो दादी का और अभिनेत्री तापसी ने प्रकाशी दादी का किरदार निभाया है।                         फिल्म सांड की आंख का पोस्टर      आखिर क्या है चंद्रो दादी और प्रकाशी दादी की असली कहानी? जानते हैं- चंद्रो तोमर और उनकी चाहत उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक गांव है जोहर। वहां पर एक चंद्रो तोमर नाम की महिला रहती हैं। जिनका जीवन सामान्य महिलाओं की तरह ही था। 60 वर्ष तक की उम्र  घर, परिवार और बच्चों की देखरेख में बीत गई। लेकिन चंद्रो दादी की इच्छा थी कि उनके परिवार की बेटियां साहसी और आत्मनिर्भर बने। शूटिंग रेंज से पहली मुलाकात            बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने और सम्मान से जीने के लायक बनाने के उद्देश्य से चंद्रो अपनी 11 वर्षीय पोती शेफाली को लेकर शूटिंग रेंज में गई और वहां उसका एडमिशन करा दिया। वह रेंज में शूटिंग ,सीखने लगी। दादी रोज उसके साथ जाती बैठकर बच्चों का अभ्यास देखती और शेफाली के साथ घर आती ।     1 दिन शेफाली रिवाल्वर लोड नहीं कर पा रही