आखिर क्यों नील गगन का बादशाह खुद को लहूलुहान कर देता है? हम सभी जीवन में कभी ना कभी निराशा का अनुभव करते हैं ...थक जाते हैं... जीवन बोझ लगने लगता है ...विचारों और शरीर का समन्वय नहीं हो पाता... आप सोच रहे होंगे कैसी बात कर रही हूं मैं ? उम्र के एक मोड़ पर सबके साथ ही ऐसा होता है और फिर जिस बात का समाधान ही ना हो उस पर कैसा चिंतन ? पर समाधान है दोस्तों, चाहिए आपको? तो चलिए मिलते हैं - उस अद्भुत बादशाह से। जिसे हमने या आपने नहीं चुना बल्कि प्रकृति ने बादशाह बनाया है । मिलते हैं पक्षीराज बाज से- Image credit-13abc.com 'जब तूफान आता है और सब पक्षी अपना आशियां ढूंढ रहे होते हैं तब बाज अपने पंखों को फैला बादलों से ऊपर उड़ रहा होता है।' आपको क्या लगता है प्रकृति का मन किया और बना दिया बादशाह....बाज को परीक्षा नहीं देनी पड़ती ? पर दोस्तों प्रकृति यूं ही किसी को कुछ नहीं दे देती बल्कि उसके लिए उपयुक्त पात्र बनना होता है। बाज को भी ट्रैनिंग लेनी होती है।...
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