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जल जीवन का मास्टर

क्या आपको लगता है ? कि स्कूल की तरह जीवन का भी कोई मास्टर होता, जो पाठ पढ़ाता , हम तैयार करते पाठ और फिर सवाल पूछता, हम उत्तर दे पास हो जाते| पर प्यारे दोस्तों , जीवन का अध्ययन, बहाव और परीक्षाये सब उल्टा है|  देखते हैं कैसे?

      बात जब जीवन की होती है तो  सबसे पहले परीक्षा होती है,जिससे सीखते हैं और फिर भविष्य के लिए तैयार हो जाते हैं| जिसमें सबसे अद्भुत बात ये लगती है कि सबके पाठ अलग , परीक्षा अलग और सीख भी अलग....है न अद्भुत!

        फिर आखिर कैसे हम आगे बढ़ें? कैसे अपने सीखने को इस तरह संतुलित करें की सफलता की गति दोगुनी हो जाये? इसके लिए जीवन के मास्टर की आवश्यकता है | आपको नहीं मिले? मुझे तो मिल गए| चलिए ,आपको भी मिलवाते हैं|

         इनका नाम है पानी | जी, बिल्कुल सही सुना आपने| पानी- वही पानी ,जिसे हम जल, नीर, अंब, तोए आदि ना जाने कितने नामों से जानते हैं | बिल्कुल सही ,वही पानी जिसे हम झरने से गिरते ,नदियों में बहते , सागर में हिलोरे लेते देखते हैं | वहीं पानी जिसे हम पीते हैं, नहाते हैं और दिन के कई कामों में इस्तेमाल करते हैं|

      पानी! वो भी मास्टर -आखिर कैसे ? पानी से हम क्या सीखें जो हमें जीवन में सफलता के लिए सहायक सिद्ध हो?

  1- पारदर्शिता- वास्तव में पानी का अपना कोई रंग नहीं होता| एकदम पारदर्शी ,निश्चल| हम इसे अपने जीवन में कर्तव्य के प्रति ईमानदारी के रूप में अपना सकते हैं | अपना कर तो देखिए, यकीन मानिए पारदर्शिता आपको एक सिद्धांतवादी के रूप में प्रतिष्ठित कर देगी|


2- ग्रहणशीलता- पानी की दूसरी खूबी है ग्रहणशीलता| जो रंग मिला दो वैसा ही बन जाए | जिसमे मिला दो घुल मिल जाए|

   पानी के इसी लक्षण में सामाजिक जीवन की सफलता का राज छुपा है | जिसे  अपनाकर जीवन को रिश्तों के खजाने से समृद्ध किया जा सकता है|


3- लचीलापन -  पानी की तीसरी अद्भुत विशेषता है लचीलापन | जिस बर्तन में डाला जाए डाला जाए वैसा ही बन जाता है| पानी को गिलास में डालें में डालें तो गिलास जैसा जैसा, थाली में डालें तो  थाली जैसा|

      हमें भी हर परिस्तिथि के अनुसार खुद को ढाल लेना चाहिए| जिसके लिए हमारे स्वभाव स्वभाव में लोच शीलता का होना बहुत जरुरी है| 


4- मधुरता -अगर मैं आपसे पूछूं कि कि पानी का स्वाद कैसा है तो क्या बताएंगे आप ? अपने आसपास के लोगों से मैंने पूछा तो कुछ का जवाब था मीठा ..जबकि कुछ का जवाब था खारा... लेकिन वास्तविकता में पानी का अपना कोई स्वाद नहीं होता| वो खारा होता है जब उसमें नमक (लवण) मिला हो यदि नमक नहीं हो तो उसमें मधुरता होती है .....स्वाभाविक मधुरता.....

          ठीक वैसे ही हम अपने जीवन की कड़वी यादों से सीखना तो चाहिए परंतु उन्हें अपने जेहन में बसाकर नहीं रखना चाहिए|  कड़वी यादों को बार-बार याद नहीं करने पर हमारे जीवन में स्वभाविक मधुरता अपने आप आ जाएगी|


 5-आत्मनिर्भरता - पानी को जमीन पर फैला कर ध्यान से देखिए| किस तरह वह अपना रास्ता खुद बनाता है? जहां ढाल होता है पानी  बह जाता है  |

पानी की इसी प्रकृति से हम सीख सकते हैं कि हमें अपने जीवन में सिद्धांतों का निर्धारण करना चाहिए और उन्हीं की कसौटी पर जीवन में अपना रास्ता खुद बनाना चाहिए | ये सिद्धांत शाश्वतता की शर्त पर खरे होने चाहिए|

     

       

  6- कठोरता-  पानी की यही विशेषता मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है| आप सोच रहे होंगे अभी हमने बात की, मधुरता की, लचीलेपन की, तो फिर पानी कठोर कैसे? चलिए समझते हैं-

        पानी पर्वतों मैदानों से होता हुआ ,उबड़ खाबड़ धरातल पर चलता हुआ, समुद्र में मिलता है |इस रास्ते में जाने कितनी चट्टाने उसकी बाधा बनती हैं.... लेकिन पानी बार बार उन पर प्रहार करके प्रहार करके उन पर प्रहार करके प्रहार करके कठोर से कठोर चट्टान टुकड़ों में तोड़ देता है और सबसे बड़ी बात खुद कभी कठोर नहीं बंटा अपनी स्वभाविक कोमलता  बनाए रखता है|

     हमें भी अपने जीवन की बाधाओं से पार पाने के लिए अथक प्रयास करने होंगे| और वह दिन जरूर आएगा जब बड़ी से बड़ी बाधा से जीत जाएंगे |लेकिन दोस्तों ,असली जीत तो तब है जब इस संघर्ष में हम अपनी कोमलता बनाए रखें|

        देखा दोस्तों , अपने जीवन मास्टर से हम कितना कुछ सीख सकते हैं| अगर आप भी मेरी मेरी बातों से सहमत हैं | तो इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए| कमेंट बॉक्स में कमेंट कीजिए |

       

Comments

पानी से सीखने लायक बहुत कुछ है ।।। बहुत उम्दा लेखन ।
Caraclinic said…
Lovely story mam

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