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Showing posts from 2019

इस दिवाली अपने राम को समझें

रामलला को समझने का सफर इसमें अचंभित होने वाली क्या बात है। मैं हम सबके उन्हीं राम की बात कर रही हूं। जिनका वर्णन पूजनीय तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है। जी हां...वही राम जिनके घर वापसी की खुशी आज भी हम दिवाली के रूप में मनाते हैं ।..बिलकुल सही.... हम सबके वही राम... जिन्हें दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण में देखने के लिए हम पड़ोसियों के घर जाते थे।                          Imagecreditprinterest एक किरदार जो भगवान बन गया चलिए दोस्तों, दूरदर्शन की रामायण के राम से जुडी एक घटना आपके साथ शेयर करते हैं।        जब दूरदर्शन पर रामायण आती थी।  उस समय का सबसे लोकप्रिय किरदार यानी...राम का किरदार अरुण गोविल जी ने निभाया था। और लोग उस किरदार से इतनी गहराई से जुड़ गए थे कि अरुण गोविल को ही राम समझने लगे थे । Magic of will power- विल्मा रुडोल्फ      एक बार अरुण गोविल अपनी पत्नी के साथ कहीं जा रहे थे और रास्ते में उनकी गाड़ी खराब हो गई। राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल जब नीचे उतरे तो गांव के किसी व्यक्ति ने उनको पहचान लिया और बड़े सत्कार के साथ अपने घर ले गया और कु

चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर की असली कहानी

रिवाल्वर दादी से एक मुलाकात हाल ही में फिल्म " सांड की आंख" का ट्रेलर रिलीज हुआ जिसमें अभिनेत्री भूमि ने चंद्रो दादी का और अभिनेत्री तापसी ने प्रकाशी दादी का किरदार निभाया है।                         फिल्म सांड की आंख का पोस्टर      आखिर क्या है चंद्रो दादी और प्रकाशी दादी की असली कहानी? जानते हैं- चंद्रो तोमर और उनकी चाहत उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक गांव है जोहर। वहां पर एक चंद्रो तोमर नाम की महिला रहती हैं। जिनका जीवन सामान्य महिलाओं की तरह ही था। 60 वर्ष तक की उम्र  घर, परिवार और बच्चों की देखरेख में बीत गई। लेकिन चंद्रो दादी की इच्छा थी कि उनके परिवार की बेटियां साहसी और आत्मनिर्भर बने। शूटिंग रेंज से पहली मुलाकात            बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने और सम्मान से जीने के लायक बनाने के उद्देश्य से चंद्रो अपनी 11 वर्षीय पोती शेफाली को लेकर शूटिंग रेंज में गई और वहां उसका एडमिशन करा दिया। वह रेंज में शूटिंग ,सीखने लगी। दादी रोज उसके साथ जाती बैठकर बच्चों का अभ्यास देखती और शेफाली के साथ घर आती ।     1 दिन शेफाली रिवाल्वर लोड नहीं कर पा रही

Karoly takacs- story in hindi

    Man with only hand-एक विश्व विजेता क्या आपको भी लगता है कि जब कुछ करना चाहते हैं कोई ना कोई ऐसी परिस्थिति बन जाती है जो हमें अपने सपनों की उड़ान  भरने से रोक देती है? कुछ ना कुछ ऐसा जरूर हो जाता है कि हम विवश हो जाते हैं सोचने पर ' किस्मत के आगे किसकी चली है ?' आपको अजीब लग रहा है ना ?आखिर किस्मत से कौन जीता है? वही तो एक चीज है जिससे सबको  हारना ही पड़ता है। लेकिन दोस्तों आज एक ऐसे शख्स से हम मिलने वाले हैं जिसने समय ,परिस्थिति और किस्मत , सबको मात देकर सपनों की ताकत को साबित किया है। मिलते हैं करोली टेक्सस से। करोली के बारे में जन्म       -21 जनवरी 1910 हंगरी व्यवसाय - फौजी खेल       - पिस्टल शूटिंग मृत्यु       - 5 जनवरी 1976, हंगरी      करोली एक फौजी और उसका सपना                       Image credit lifehackshindi 'सपने, जो ना सिर्फ देखे जाए बल्कि जिन्हें जिया जाए।'  करोली फौज में नौकरी किया करते थे । लेकिन साथ ही उन्हें पिस्टल शूटिंग का शौक था।  उनका सपना था अपने हाथ को बेस्ट शूटिंग हैंड बनाना। जिसके लिए वह निरंतर परिश्रम करते

Story of eagle- बाज का पुनर्जन्म

आखिर क्यों नील गगन का बादशाह खुद को लहूलुहान कर देता है? हम सभी जीवन में कभी ना कभी निराशा का अनुभव करते हैं ...थक जाते हैं... जीवन बोझ लगने लगता है ...विचारों और शरीर का समन्वय नहीं हो पाता... आप सोच रहे होंगे कैसी बात कर रही हूं मैं ? उम्र के एक मोड़ पर सबके साथ ही ऐसा होता है और फिर जिस बात का समाधान ही ना हो उस पर कैसा चिंतन ?           पर समाधान है दोस्तों, चाहिए आपको? तो चलिए मिलते हैं - उस अद्भुत बादशाह से। जिसे हमने या आपने नहीं चुना बल्कि प्रकृति ने बादशाह बनाया है । मिलते हैं पक्षीराज बाज से-                     Image credit-13abc.com 'जब तूफान आता है और सब पक्षी अपना आशियां ढूंढ रहे होते हैं तब बाज अपने पंखों को फैला बादलों से ऊपर उड़ रहा होता है।'       आपको क्या लगता है प्रकृति का मन किया और बना दिया बादशाह....बाज को परीक्षा नहीं देनी पड़ती ? पर दोस्तों प्रकृति यूं ही किसी को कुछ नहीं दे देती बल्कि उसके लिए उपयुक्त पात्र बनना होता है। बाज को भी ट्रैनिंग लेनी होती है।  चलिए , चलते हैं पक्षीराज की प्रशिक्षण यात्रा पर। प्रशिक्षण यात्रा जब सभी पक्ष

सिंधुताई सपकाल - mother of orphans

    जलती अर्थी पर रोटी सेक कर खाने वाली स्त्री को आखिर क्यों चार राष्ट्रपतियों ने सम्मानित किया?               मंजिल बहुत दूर है ,जाना वहां जरूर है                        रास्ता मुश्किल है ,मौत भी मंजूर है।   दूसरों के लिए जीने का ऐसा अनोखा जज्बा   जिंदगी तो सभी जीते हैं परस्तिथितिवश संघर्ष भी करते हैं। पर जीने का ऐसा जज्बा। जिसके खुद के पास खाने को निवाला ना हो, तन पर कपड़ा ना हो , सिर पर छत ना हो लेकिन बेसहारों को सहारा दे । वो भी अपनी संतान को त्याग कर हजारों बच्चों की मां बन जाए। ऐसा साहस सहज देखने को नहीं मिलता। आज मिलते हैं महाराष्ट्र की माई सिंधु सपकाल से।                       अनाथों की माँ चिन्दी का बचपन 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के एक गरीब परिवार में लड़की का जन्म हुआ। जिसका स्वागत 'चिंदी' नाम से किया गया। चिंदी अर्थात फटा हुआ कपड़ा, चिंदी अर्थात कपड़े के ऐसे चिथड़े जिन्हें कोई चाहता ही ना हो। नाम से ही स्पष्ट है चिंदी का बचपन कितने स्नेह पूर्ण वातावरण में बीता होगा ।  चिंदी घर के काम में मां का हाथ बटाती ,दिन में भैंस चराती ।समय निकालकर किस

Arunima Sinha story

मानवीय साहस की अद्भुत मिसाल-अरुणिमा सिन्हा दोस्तों हम बात कर रहे थे एवरेस्ट की बेटी अरुणिमा सिन्हा की। कैसे उस बेटी ने हिम्मत रखी ? कैसे उस बेटी ने ने दर्द की इंतहा को पार किया? वालीबॉल प्लेयर्स माउंटेनियर बनने की घटना चलिए अब जानते हैं अरुणिमा की आगे की यात्रा के बारे में- अरुणिमा ने ना सिर्फ everest पर विजय प्राप्त की बल्कि साबित कर दिया मानसिक मजबूती ,दृढ़ निश्चय और इमानदारी भरे प्रयास आपको सफलता के शिखर पर पहुंचा देते हैं। मित्रों किसी व्यक्ति की सफलता में उसकी भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है लेकिन परिवार का सहयोग सफलता में backbone का काम करता है । अरुणिमा ने जब अपने भाई साहब को बताया कि वह everest summit करना चाहती है । तो उन्होंने यह सोचने की वजाय- कि लड़की आगे जीवन यापन कैसे करेगी? कहा "चलो , मैडम बछेंद्री पाल से मिलते हैं । जिन्होंने 1984 में everest summit किया था ।" अरुणिमा अस्पताल से सीधे बछेंद्री मैडम से मिलने गई जबकि उस समय अरुणिमा के दाएं पैर में stiches लगी हुई थी । अरुणिमा को देखकर बछेंद्री पाल की आंखों में आंसू आ गए । उन्होंने अरुणिमा से कहा

Motivational story of Arunima Sinha

हम कई बार छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाते हैं| फलां व्यक्ति ने हमारे बारे में इतना गलत कैसे बोला? उसकी हिम्मत कैसे हो गई हमारे बारे में इस तरह से बोलने की? फिर या तो तो हम उस शख्स से लड़ बैठते हैं ,ना लड़ पाने की स्तिथि  में कुंठित हो जाते हैं|       सच तो यह है दोस्तों धरती पर जन्मा कोई व्यक्ति ऐसा है ही नहीं जिसने असफलता का मुंह ना देखा हो ,अपयश का स्वाद ना चखा हो| जिसका पथ हमेशा सरल रहा हो| फिर भी कुछ लोग इन्हीं कांटो की राह से गुजरते हुए बहुत सफल हो जाते हैं तो कुछ  परिस्थितियों में उलझ कर रह जाते हैं|        पर दोस्तों, क्या आपने सोचा है ? अपने क्रोध अपनी कुंठा की ऊर्जा का प्रयोग हम सृजन में कर सकते हैं| यही ऊर्जा सफलता के मार्ग में ईंधन का काम कर सकती है |        चलिए, इस यात्रा की कड़ियों को समझते हुए मिलते हैं एक ऐसी लड़की से जिसकी स्पाइन में 3 फ्रैक्चर, एक पैर कट गया ,दूसरे की हड्डियां टूट- टूट कर निकल गई |आगे का पता नहीं उठ भी पाएगी कि नहीं यदि उठी, तो किसके सहारे चलेगी व्हीलचेयर या बैसाखी? समाज में उसके बारे में अनर्गल बातें- जिन की सच्चाई लड़की का परिवार चिल्ला चिल्

जल जीवन का मास्टर

क्या आपको लगता है ? कि स्कूल की तरह जीवन का भी कोई मास्टर होता, जो पाठ पढ़ाता , हम तैयार करते पाठ और फिर सवाल पूछता, हम उत्तर दे पास हो जाते| पर प्यारे दोस्तों , जीवन का अध्ययन, बहाव और परीक्षाये सब उल्टा है|  देखते हैं कैसे?       बात जब जीवन की होती है तो  सबसे पहले परीक्षा होती है,जिससे सीखते हैं और फिर भविष्य के लिए तैयार हो जाते हैं| जिसमें सबसे अद्भुत बात ये लगती है कि सबके पाठ अलग , परीक्षा अलग और सीख भी अलग....है न अद्भुत!         फिर आखिर कैसे हम आगे बढ़ें? कैसे अपने सीखने को इस तरह संतुलित करें की सफलता की गति दोगुनी हो जाये? इसके लिए जीवन के मास्टर की आवश्यकता है | आपको नहीं मिले? मुझे तो मिल गए| चलिए ,आपको भी मिलवाते हैं|          इनका नाम है पानी | जी, बिल्कुल सही सुना आपने| पानी- वही पानी ,जिसे हम जल, नीर, अंब, तोए आदि ना जाने कितने नामों से जानते हैं | बिल्कुल सही ,वही पानी जिसे हम झरने से गिरते ,नदियों में बहते , सागर में हिलोरे लेते देखते हैं | वहीं पानी जिसे हम पीते हैं, नहाते हैं और दिन के कई कामों में इस्तेमाल करते हैं|       पानी! वो भी मास्टर -आखिर कैसे

अर्शी का चक्रव्यूह

अर्शी के पापा बेहद खुश थे| उनके जीजा जी ने  अर्शी के लिए जो रिश्ता बताया था, उन लोगों ने अर्शी को पसंद कर लिया और अर्शी के परिवार में भी तो सब यही चाहते थे |आखिर लड़के के पिता अधिकारी थे लड़का भी सरकारी नौकरी कर रहा था संपन्न परिवार का लाडला बारिश-* वंश|          लेकिन अर्शी के पापा को चिंता थी कि  उनकी छोटी सी दुकान चलाने के साथ की हुई पूरे जीवन की बचत भी शायद लड़के वालों के लिए अपर्याप्त रहेगी| पर अर्शी की  मां  ने पापा को समझाते हुए कहा" एक बार बात करके देखने में क्या हर्ज है अरे !अधिकारी हैं तो क्या हुआ? उन्हें अपनी अर्शी पसंद है |हो सकता है वह लोग पैसे से ज्यादा अपनी पसंद की लड़की को अहमियत दें| "  अर्शी के पिता ने कहा "ठीक कह रही हो लड़की  बाप हूं, कोशिश तो करनी ही पड़ेगी फिर तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं रहती| मेरे पास कौन सी नौकरी है |कल को कुछ हो गया तो कौन शादी करेगा   मेरी बिटिया की ?अर्शी की मां ने कहा "सब अच्छा होगा आप चिंता मत करिए मैंने तो भगवान से प्रसाद भी मान रखा है| अच्छे से यह रिश्ता हो जाए फिर अपनी अर्शी सबका दिल जीत लेगी |देखते हैं ना? परिवार में